कलियुग के वृक्ष को कटाने के लिए राम कथा कुल्हाड़ी है
राम कथा साधारण नहीं है। सारे लोगो का पालन करती है।एक गंगा शिव जी की जाता से निकलती है जबकि दूसरी गंगा शिवजी के मुख से प्रकट हुई है। मुख से निकलनेवाली गंगा में डुबकी लगाओगे तो तर जाओगे। जटा की गंगा सब जगह नहीं जा सकती लेकिन मुख से गंगा हर जगह प्रवाहित हो सकती हैं। मनुष्य का तन पाकर भी जिसने राम कथा का श्रवण अपनो कानों से नहीं किया। तीर्थों का दर्शन नहीं किया उसका जीवन व्यर्थ है। यह उद्गार व्यक्त किया संत शम्भु शरण जी ने। वे अग्रवाल समाज ट्रस्ट एवं लक्ष्मी नाथ सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से भक्तों को राम कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा –
राम कथा सुन्दर करतारी, संशय विहग उड़ावनहारी। राम चरित मानस की इस चौपाई की व्याख्या करते हुए कहा की ह्रदय में संशय रूपी पक्षी बैठा है जो रामकथा को सुनने से उड़ जाता है, अर्थात राम कथा सुनाने से संशय दूर हो जाता है। यही नहीं राम से अधिक शक्ति राम कथा में है। लेकिन रामकथा में मर्यादा का पालन करना जरुरी है क्योंकि राम जी स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम है। इसलिए उनकी कथा में मर्यादा का विशेष ख्याल रखें चाहिए। कलियुग के वृक्ष को कटाने के लिए राम कथा कुल्हाड़ी है। निर्गुण , निराकार सगुन , साकार रूप धारण कर मर्यादा का पाठ पढ़ाने, अत्याचार , अभिमान , पाप का नाश करने के लिए हर युगों में अवतार लेता है। त्रेता में रामावतार ,द्वापर में कृष्णावतार हुआ और कलियुग में कल्कि अवतार होगा।
संतजी ने कथा में राम जन्म के कई कारन पर चर्चा की जिसमें ब्राह्मणो के श्राप , नारद जी का श्राप और देवताओं को भयमुक्त करना मुख्य है।
व्यक्ति को जीवन सदाचार का पालन कारन चाहिए, क्योकि यदि इस जन्म में पाप नहीं काट पाए तो फिर से जन्म लेना पड़ता है। एक , दो तीन जन्म बल्कि जब तक पाप का हिसाब किताब पूरा नहीं होता तब तक जन्म होता ही रहता है।
संतजी ने शिवभक्तों में रावण को श्रेष्ठ बताय। रावण विद्वान्, धनवान और बलवान था। लेकिन अभिमानी था जिसके कारन उसका और उसके पुरे कुटुंब का सर्वनाश हो गया। भक्तों को सचेत करते हुए कहा की यदि राम कथा सुनते हो तो आज से अभी से जीवन में अभिमान करना छोड़ दो। रावण और शिव जी के बीच संवाद की सुन्दर व्याख्यान हुआ।
संगीतमय कथा में –
भोले बाबा की मस्ती निराली है
हर दिलों को नचा देने वाली है
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सरकार ने सोचा शंभू हैं बवाल में
वरदान दे के पहन गए वैताली जाल में
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प्रेम शैतान को इंसान बना देता है
प्रेम पत्थर को भगवान बना देता है
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जैसे भजनो पर भकगण झूम उठे।
कथा का श्रवण समाज के वरिष्ठ बाबूलाल मित्तल, ओम प्रकाश सतनालीवाला , आनंद सतनालीवाला , किशन मेगोटिया , रामावतार चौधरी , अशोक टिबरेवाल, मदनलाल मित्तल , जगदीश प्रसाद सिंघल, पार्षद विजय चौमाल एवं सुमन गाड़िया कथा का रसास्वादन किये।
ट्रस्ट के संरक्षक एवं कथा के मार्गदर्शक संजय जगनानी, ने बताया समिति और ट्रस्ट के कार्यकर्ता दीपू गोयनका , जगमोहन जालान, भारत बजाज , प्रकाश बेरीवाल , शिवरतन जगनानी , अरविन्द गाड़िया , प्रवीण जेसन सरिया , रवि सराफ , राधे श्याम रावतसरवाले , ने तन , मन , के समर्पित भाव से राम जी के कार्य में हनुमान बनकर सेवा कर रहे हैं।