सातवें दिन की कथा – राम वन गमन, दशरथ मरण के प्रसंग पर रो पडे़ श्रोतागण

सूरत।डी टी ट्रेन्ज प्राइवेट लिमिटेड द़्वारा आयोजित श्री राम कथा में बुधवार को श्रोता गण राम वन गमन और दशरथ मरण के प्रसंग पर खथा पांडाल में रो पडे़। व्यासपीठ से कथा का रसपान कराते हुए पूज्य राजन जी महाराज ने कहा कि राजा दशरथ जी को इस बात की ग्लानि थी कि रामजी को याल करते – करते 6 दिन बीत गये लेकिन प्राण अभी तक शरीर से नहीं निकले। रामजी के जाने का दुःख उन्हें नहीं था। दुःख तो इस बात का था कि राम के वियोग में अभी तक जिंदा कैसे हूं। यही विचार करते – करते अंततः दशरथ जी सुरधाम चले गये।इसके बाद भरत को ननिहाल से बुलवाया गया। भरतजी को ननिहाल में रात को डरावने और बुरे सपने आते हैं।राजनजी महराज कहते हैं कि जिसको प्रेम करता हैं मन उसके साथ ही रहता है। राजा दशरथ की अंत्येष्ठी बडे़ मनोयोग से हुई।आज के बदलते माहौल पर राजन जी महाराज ने कहा कि अंत्येष्टी के मुद्दे पर समाज के कुछ लोग कंजूसी कर रहे हैं।
इसे शोर्ट में निपटा रहे हैं।

पूज्य राजन जी महराज ने कहा कि संसार में भरत जैसा भाई न हुआ है न होगा। कथा में विधायिका संगीता पाटिल, पुलिस कमिश्नर अनुप सिंह गहलोत सहित समाज अग्रणियों ने महाराज जी से आशीर्वाद लिया।