निर्बल के बल राम हैं -अवधेशानंद गिरीजी
सूरत-निर्बल के मन राम हैं।अपनों से व्यथित, प्रताडित और असहाय मन जब संसार से विमुख होकर राम की ओर उन्मुख होता है तब राम का एक मात्र आश्रय उसे संबल प्रदान करता ह।यह उद्गार व्यक्त किया स्वामी अवधैशानंद गिरीजी ने।वे सोमवार को ग्रीन वेली के सामने अयोध्याधाम के विशाल पांडाल में भक्तों को प्रथम दिन की कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि रामायण झूठी नहीं है। उपन्यास, कहानी झूठी हो सकती है। जो लोग इसे कल्पना बताते है।उनको यह समझ लेना चाहिए कि ऐसी कल्पना सिर्फ भारत में हो सकती है।श्री श्याम अखंड ज्योत सेवा समिति और श्री प्रभु प्रेमी संघ द्वारा आयोजित इस कथा का उद्देश्य सूरत में एक छात्रावास बनाना है। कथा के पहले दिन ही पांडाल में कथा का लाभ लिया।
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य होना बहुत दुर्लभ है, हम आदमी नहीं है, हम मनुष्य हैं। मनुष्य मनु जी से है, तो मनु ही ब्रह्म हैं और ब्रह्मा ही ईश्वर हैं। ईश्वर तो कण-कण में समाया हुआ है, जल, थल, नभ सभी में वह समया हुआ है। वह सर्वव्यापी हैं, एक होकर के भी अनेक रूपों में हैं। गुरु महाराज ने मनु और शतरूपा का उल्लेख करते हुए कहा कि मनु ब्रह्म है और ब्रह्मा ईश्वर के अंश हैं, देह मिटता है परंतु सनातन नहीं मिटता।
कथा का मतलब ही सत्य और प्रकाश का बोध करना है। प्रभु सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें, कथा हमें इसका बोध कराती है। जिसके जीवन में सत्य नहीं है वह सत्य को जान नहीं पाएगा। असतो मां सद्गमय… से हमें यही प्रेरणा मिलती है। भारत की धरा में राम हैं। राम अच्युतानंद हैं, हुए सभी में समाए हुए हैं। जो सभी में ब्रह्म देखे हुए राम है। राम कभी भी किसी में पाप नहीं देखते।