वसई। राजपूताना परिवार फाउंडेशन मुंबई द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जन्म जयंती एवं चैत्र महोत्सव विराट स्वरूप में वसई के सांई नगर मैदान में मनाया गया। इस उपलक्ष्य में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश के क्षत्रिय समाज के अनेक संगठनों के भाई-बहन बढ़-चढ़कर भाग लिए तथा कार्यक्रम को भव्य एवं उत्साहपूर्ण वातावरण बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। कार्यक्रम की शुरुआत पंच कन्याओं द्वारा दीप प्रज्वलित करके, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा महाराणा प्रताप की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करके किया गया। यह कार्यक्रम विशुद्ध रूप से सांस्कृतिक एवं सामाजिक एकता का ताना-बाना बूनने वाला था । राजपुताना परिवार फाउंडेशन के मुखिया दद्दन सिंह ने अपने वक्तव्य में संस्था की रूपरेखा, उद्देश्य एकता एवं भाईचारे का संदेश दिया। संस्था के मार्गदर्शक “नालासोपारा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल” के डायरेक्टर डॉ, ओमप्रकाश दुबे ने इस कार्यक्रम के लिए साधुवाद दिया तथा समाज में इस प्रकार के कार्यक्रम निरंतर करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही अपनी ओजस्वी वाणी में महाराणा प्रताप तथा छत्रपति शिवाजी के जीवन और उनके संघर्ष काल को याद करते हुए नई पीढ़ी के बच्चों को, उनके आदर्शों को अपने आचरण एवं व्यावहारिक जीवन में उतारने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम को भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए देश के नामी कवियों एवं कवयित्रियों को आमंत्रित किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से डॉक्टर रोशनी किरण, रीमा सिंह, रासबिहारी पांडे एवं वीर रस के सुविख्यात कवि राज बुंदेली और राम भदावर जी उपस्थित रहे। राम भदावर जी ने अपनी ओजस्वी भाषा से हजारों श्रोताओं से भरे हुए मैदान में समा बांध दिया। रग -रग में वीरता का संचार भर दिया। समसामयिक एवं प्रासंगिक मुद्दों को अपनी कविता में पीरोकर राम भदावर जी ने अपनी कविता के माध्यम से जनमानस को सराबोर और कर दिया ।तालियों की गड़गड़ाहट और लोगों का उत्साह देखते ही बनता था।
राज बुंदेली ने अपनी कविता के माध्यम से चित्तौड़, कुंभलगढ़ एवं महाराणा प्रताप की वीरता की जो झांकी प्रस्तुत किया, ऐसा प्रतीत होता था कि हम वर्तमान को छोड़कर महाराणा प्रताप के काल में बैठे हुए हैं । इस तरह से चित्रण उन्होंने अपनी कवितावली के माध्यम से किया।
कार्यक्रम में सभी लोगों के माथे पर स्वर्ग के चंदन के समान पावन पवित्र भूमि हल्दीघाटी की माटी का तिलक किया गया । उस मिट्टी को स्पर्श करके सब वीरता की अनुभूति कर रहे थे। देश के कोने-कोने से आए हुए अतिथियों को केसरिया राजस्थानी साफा पहनाकर सम्मान किया गया तथा शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।
अमर शहीद सुखदेव गोगामेड़ी की पत्नी वीरांगना शीला सुखदेव गोगामेड़ी ने मंच से अपने पति की शहादत की चर्चा करते हुए माताओं, बहनों एवं भाइयों को उन्होंने संबोधित किया कि समाज में एकता अखंडता की आवश्यकता है। हम सब शक्तिशाली हैं लेकिन जब आपस में बिखर जाते हैं, टूट जाते हैं, लड़ने लगते हैं तो इसका लाभ आतताई शक्तियां उठाती हैं और सुखदेव गोगामेड़ी जैसे राष्ट्रभक्तों को शहादत देनी पड़ती है। कार्यक्रम में विशेष तौर पर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेशऔर बिहार आदि राज्यों से क्षत्रिय समाज के बहुतायत गणमान्य जन उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं। कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में “मेवाड़ क्षत्रिय राजपूत परिषद” के अध्यक्ष विजय सिंह डुलावत ने क्षत्रिय को परिभाषित करते हुए कहा कि क्षत्रिय कुल में जन्म लेने वाला व्यक्ति ही क्षत्रिय नहीं होता है परहित के लिए, राष्ट्र के लिए, धर्म के लिए, सभ्य समाज की स्थापना के लिए जो अपने प्राणों को उत्सर्ग कर देता है, वही क्षत्रिय है।