भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही भवसागर पार हो जाता है मनुष्य – डॉ. बृजेश

जौनपुर। बदलापुर क्षेत्र के ग्रामपंचायत औंका में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा शुक्रवार को संपन्न हुई। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। भागवत कथा का आयोजन डॉ रामकृपाल शर्मा की ओर से करवाया गया था। मुख्य यजमान पंडित राजेन्द्र नाथ शर्मा तथा उनकी धर्मपत्नी शांन्ति देवी परिवार सहित तथा श्रद्धालुओं ने हवन में आहूति डाली । कथा व्यास डॉ. बृजेश शुक्ल शास्त्री ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों के बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन शुक्रवार को विधिविधान से पूजा करवाई। दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। मौके पर डॉ करुणेश भट्ट , डॉ रामकृपाल शर्मा , राजेन्द्र नाथ शर्मा ,मनोज शर्मा , गिरीश शर्मा , साधना ,सुनीता ,दिव्या ,निर्मला , उर्मीला ,मनीष शर्मा ,अतुल शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।