श्री कृष्ण बाल लीला व् गोवेर्धन पूजा आज
भागवत महापुराण वह ज्ञान है जिससे माया की निवृत्ति होकर भगवान के सच्चे स्वरूप का बोध होता है, वेदव्यास भगवान कहते हैं कि जो माया का मर्दन करें वही भागवत हैं। उपरोक्त विचार कथा वाचक डॉ. राघवाचार्य महाराज ने बुधवार को सिटी लाइट स्थित महाराजा अग्रसेन भवन के पंचवटी हाल में व्यास पीठ से व्यक्त किए । हुडिल वाला परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथावाचक ने आगे बताया कि जब तक तन में प्राण है तब तक बार-बार कथा को रस रूप में पीना चाहिए, इस धरती पर जो भी अध्यात्म रसिक है उसके लिए भागवत महापुराण अमृत पेय है। उसके बाद सुखदेव जी द्वारा गंगा के किनारे परीक्षित महाराज को आख्यान सुनाना आदि प्रसंगों का वर्णन किया, उन्होंने कहा कि भगवत भक्ति से ही जीव के पाप कर्म नष्ट होते है ,जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश से अंधकार नष्ट हो जाता है उसी प्रकार भागवत कथा सुनने से जीव को जन्म मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है डॉ. राघवाचार्य ने आगे बताया कि कर्म मार्ग में थोड़ी कमी आ जाए तो पतन हो सकता है, ज्ञान मार्ग में भी ज्ञानी व्यक्ति को अभियान आ जाए तो पतन निश्चित है किंतु भगवान की भक्ति कोई भी प्राणी कर सकता है भक्ति मार्ग निष्कंटक है वह सरल है। जीव को अभिमान रहित होकर प्रभु शरण में लीन हो जाना चाहिए। उसके बाद देवेंद्र व विश्वरूप का युद्ध ,भक्त प्रहलाद, गजेंद्र मोक्ष एवं समुद्र मंथन का भी वर्णन किया ।कथा में राम अवतार व् श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव में श्री कृष्ण वासुदेव की जीवंत झाँकी के साथ आयोजक परिवार के सदस्य व अन्य श्रद्धालु नाच ने झुमने लगे ।आज श्री कृष्ण बाल लीला व् गोवेर्धन पूजा के प्रसंगो का वर्णन होगा।