भगवान की जब अनंत कृपा होती है तब जीव को सत्संग श्रवण का अवसर मिलता है। किसी भी वस्तु को जाने बगैर उसके ऊपर प्रीति नहीं होती ,
राम कथा एवं गोविंद कथा हमारे संशय को दूर करती है ,संत महात्मा भी बार-बार कथा सुनने के लिए आतुर रहते हैं।उपरोक्त उदगार शुक्रवार को सिटीलाइट स्थित महाराज अग्रसेन भवन में हुडीलवाला परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में व्यास पीठ से डॉ. राघवाचार्य ने व्यक्त किये। उन्होंने आगे इंद्र द्वारा कोपायमान होकर गोवर्धन पर्वत पर भारी बारिश करने का वर्णन किया। सभी बृजवासी घबराकर बालकृष्ण के शरण में गए, सात साल के बाल गोपाल ने सात कोसी गोवर्धन पर्वत को अपने कनिष्ठ अंगुली पर उठाया और सभी ब्रज वासियों को पर्वत के नीचे शरण लेने को कहा ।कथा वाचक ने कथा के बीच जैसे राखे राम जी…. वैसे रहना चाहिए आदि भजन एवं राधे राधे गोविंद…. गोविंद राधे राधे….. आदि कीर्तन कि प्रस्तुति से श्रोता गण भाव विभोर हुए। उसके बाद नंद बाबा को वरुण के पाश से मुक्त कराना व बालकृष्ण द्वारा रासलीला के द्वारा कामदेव का मान मर्दन का वर्णन किया । रात्रि 8.30 बजे फूलों की होली खेली गयी। आज सुबह हवन व् उसके बाद अवधूत उपाख्यान के साथ कथा का समापन होगा।