पत्रकारों को दो टके का आदमी कहनेवाले भाजपा के मंत्री के खिलाफ आक्रोश –शिवपूजन पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

जौनपुर। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पत्रकारिता का विशेष महत्व है। भयानक युद्ध के बीच भी पत्रकार अपनी जान की परवाह न करते हुए रिपोर्टिंग करते हैं। दुनिया में प्रतिवर्ष सैकड़ो पत्रकार को अपनी जान गंवानी पड़ती है। पत्रकार को दो टके का आदमी कहना और वह भी बीजेपी के एक जिम्मेदार मंत्री द्वारा तो तीखी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है। जौनपुर में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक पत्रकार द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर पूछे गए सवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गिरीश यादव को इतना कुपित कर दिया कि उन्होंने पत्रकार को दो टके का आदमी कह दिया। मंत्री पद के अहंकार में डूबे गिरीश यादव को शायद पत्रकारिता की ताकत का अंदाजा नहीं था। वीडियो वायरल होते ही पूरे देश में पत्रकारों के साथ-साथ राजनीति और समाज सेवा से जुड़े हुए लोग भी अक्रोशित हो उठे। किसी को कल्पना नहीं थी कि पत्रकारों का सम्मान तथा उनकी सुरक्षा के प्रति हमेशा आदर भाव रखने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में इस तरह का भी मंत्री हो सकता है। इस बार का मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पत्रकारों पर अंगुली उठाने वाला कोई आम आदमी या अधिकारी नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार का एक जिम्मेदार मंत्री है। सूत्रों के अनुसार यह वही मंत्री हैं, जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ मंच पर ही काम किया। वे अपने गांव की बूथ पर भी भाजपा को लीड नहीं करा सके। सूत्रों की माने तो उनके परिवार के लोगों का भी पूरा वोट भाजपा को नहीं मिला। भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार मंत्री जी की जौनपुर में एक डिक्टेटरशिप वाली लॉबी है। यह लॉबी किसी भी कीमत पर पार्टी से पहले अपना भला करना चाहती है। इसी लॉबी के चलते धनंजय सिंह जैसे लोकप्रिय नेता को आज तक भाजपा में प्रवेश नहीं मिला। उन्हें डर है कि अगर धनंजय सिंह भाजपा में आ गए तो जिले में उनका वर्चस्व टूट जाएगा। लोकसभा चुनाव में अगर धनंजय सिंह भाजपा के साथ रहे होते तो दोनों लोकसभा की सीटें भाजपा के पक्ष में होती। पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने दबी जुबान से कहा कि मंत्री जी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का काम अधिक करते हैं । वायरल वीडियो में मंत्री जी कहते हैं कि उन्होंने जनपद का विकास का सारा काम कराया है। ऐसे में यदि सारे कामों की जांच हो तो बुराई क्या है? मंत्री जी के साथ-साथ सरकार के पारदर्शी कामों को भी ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिल जाएगा।