भायंदर। आपको सुनकर सहसा यकीन नहीं होगा कि भायंदर पश्चिम के छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग पर स्थित एक्सिस बैंक के सामने स्थित अपने चंद्रकांत निवास पर नायक परिवार पिछले 220 वर्षों से पर्यावरण पूरक गणपति बप्पा की स्थापना कर रहे हैं। परिवार के एडवोकेट सचिन नाईक बताते हैं कि उनका परिवार मूल रूप से छत्रपति संभाजी नगर के पैठण स्थित सावरखेड गांव का रहने वाला है।1738 ई में, बाजीराव पेशवा प्रथम के छोटे भाई चीमाजी अप्पा के साथ उनके पूर्वज रणछोड़ नाईक भायंदर आए थे। वे मराठा सेना में नाईक पद पर नियुक्त थे। चीमाजी अप्पा भायंदर के धारावी मंदिर में पूजा अर्चना करते थे। धारावी किला के बाद उन्होंने वसई का किला जीता । चीमाजी ने रणछोड़ को भाईंदर ,नवघर घोड़डेव, राई, मुर्धा इन पंचकोशी गांवों में धार्मिक विधि से गणपति बप्पा की पूजा शुरू करने के लिए यही रुकने को कहा। नाईक परिवार 1804 से लगातार अपने घर में गणपति बप्पा की स्थापना करता आ रहा है। वर्तमान में उनकी आठवीं पीढ़ी द्वारा बप्पा की स्थापना की गई है। शाडू मिट्टी से बाल गणेश की बनी दो मूर्तियां बैठाई जाती हैं । एक मूर्ति का विसर्जन किया जाता है तो दूसरी मूर्ति एक साल तक संभाल कर रखी जाती है। अगले वर्ष एक नई मूर्ति स्थापित की जाती है तथा अनंत चतुर्दशी के दिन पुरानी मूर्ति विसर्जित कर दी जाती है। पूरा परिवार 10 दिन तक गणपति बप्पा की भक्ति में डूबा रहता है। सजावट में लगने वाला लकड़ा और खिलौने भी 70 साल पुराने हैं।
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