राम कथा जीवन जीने की कला सिखाती है – संत शंभुशरण लाटा

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राम कथा जीवन जीने की कला सिखाती है. …..संत शंभुशरण लाटा
सोमवार को तुलसी शोभा यात्रा में गूंजे जय श्री राम के जयकारे
श्री अग्रवाल समाज ट्रस्ट एवं श्री लक्ष्मीनाथ सेवा समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित श्री रामचरितमानस कथा के प्रथम दिन सोमवार को सुबह 8:00 बजे जय श्रीराम के जयकारों के साथ विशाल तुलसी शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा विआईपी रोड श्याम मंदिर से प्रस्थान कर सिटी लाइट अणुव्रत द्वार के पास निर्मित कथा स्थल अवधपुरी सुरभि धाम पहुंची। शोभायात्रा में एक बग्गी में संतगण बिराजमान थे व भगवान श्री राम की पालकी को भक्तगण लेकर चले रहे थे। महिला वर्ग सिर पर तुलसी कलश लिए व पुरुष सफेद पोशाक में संगीत कि धुन पर नाचते झूमते चल रहे थे, यात्रा में जीवंत झांकी में राम, लक्ष्मण, सीता विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। इसके अलावा भजन गायकों दवारा रामजी की निकली सवारी… रामजी की महिमा है भारी और मेरी लगी श्याम संग प्रीत…..दुनिया क्या जाने….एवं छम छम नाचे…..देखो वीर हनुमाना आदि भजनों की प्रस्तुति से माहौल भक्तिमय नजर आया ।दोपहर को कथा स्थल पर व्यास पीठ से कोलकाता के संत शंभू शरण लाटा महाराज ने संगीत के साथ श्री राम नाम महिमा एवं कथा महात्मय का वर्णन किया, उन्होंने यह कथा राम की, जीव के बड़े काम की चौपाई का वर्णन करते हुए कहा की राम कथा केवल कथा नहीं है बल्कि काम , क्रोध व लोभ को मिटाकर जीवन जीने की कला सिखाती है।रामचरित मानस के प्रति विश्वास रखें तो वह हमारा भाग्य भी बदल सकती है, क्योंकि संसार में जो दिखता है वह सत्य नहीं है,और जो सत्य है वह दिखता नहीं है। कथा वाचक ने आगे बताया कि संत चलते-फिरते तीर्थ हैं । संत समागम का फल तत्काल मिलता है, तुलसीदास जी ने भी कहा है कि संत समागम,… हरि कथा. …. तुलसी दुर्लभ दोय. संतों के मन में किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं रहता है, महाराज द्वारा यह संतों का प्रेम नगर है… यहां संभलकर आना ,ऐसा बरसे रंग यहां पर. … जन्म जन्म तक मन भींजे एवं साधो यह जग राम बगीचा….. आदि भजनों की प्रस्तुति से श्रोता भाव विभोर हुए। कथा के संयुक्त मुख्य यजमान सुरेश अग्रवाल ईरोड वाले व विकास मित्तल परिवार है।

मंगलवार की कथा में संत लताजी ने व्यासपीठ से धर्म की बहुत ही सुन्दर व्याख्या करते हुए कहा की परोपकार सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा कोई दूसरा धर्म नहीं है। शिव – पारवती के विवाह का वर्णन करते हुए बताया की शिवजी बैल पर चढ़कर बारात में जाते है। बैल धर्म का प्रतिक है। जीवन की हर परिस्थिति में धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म को लगाम लगाकर नहीं रखना चाहिए। यदि धर्म सलामत रहेगा तो लक्ष्मी फिर से आ जाएगी। शिव हमें जीवन में अपमान को सहन करना सिखाते है। कथा में संगीतमय चौपाइयों की धुन पर मार्मिक व्याख्यान के साथ श्री राम जय राम जय जय राम से पूरा सिटी लाइट विस्तार गूंज उठा।
कथा में संतजी बताया की गिरिजा सर्वदा शंकर प्रिया है। जीवन में चिंता है के कारन है। जब कुछ होगा ही नहीं तो चिंता नहीं होगी।

गौरी के दुलहा सलोना हो
कोई टोना न लगाए
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आई शिवजी की बारातीया हिमांचल नगरीया
आई बाबा की बारतीया हिमांचल नगरीया
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ले बारात शिव चले वियाहन
डमरू बाजे डैम डैम डैम
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जगत में कोई ना परमानेंट
तेल , चमेली, सेम्पु , साबुन , चाहे लगा लो सेंत
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अग्रवाल समाज ट्रस्ट के अध्यक्ष कोकि अग्रवाल , सचिव राजू जयबाबा , वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील गोयल तथा लक्ष्मी नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष शिव रतन देवड़ा , सचिव मुरारी सराफ ने सूरत के सभी धर्म प्रेमी लोगो से कथा का पुण्य लाभ लेने के लिए आमंत्रित किया है।

इस प्रकार के विवाह गीतों पर श्रोताओ का मन झूम उठा।
पंडाल में सुबह के समय नवान्ह परायण पथ प्रतिदिन होता है जिसमें मंगलवार को भी हुआ।
लक्ष्मी नाथ सेवा समिति एवं अग्रवाल समाज ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता पंडाल में महत्वपूर्ण सेवा दे रहे हैं। जिसमे मुरारी सराफ , मोनू देवड़ा , ललित बजाज , निशु पाटोदिया , मनोज लोहिया महेश देवड़ा ,मधु शर्मा ,शंकर मोरे ,शिव रतन जगनानी ,विनोदजी , अशोक , सोनू अग्रवाल शामिल हैं।