मंत्रिमंडल में एक भी उत्तर भारतीय को शामिल न करना भाजपा को पड़ सकता है भारी

–शिवपूजन पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

मुंबई। विधानसभा चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं ने संगठित रूप से भाजपा के पक्ष में मतदान किया। जिन क्षेत्रों में उत्तर भारतीय मतदाताओं की निर्णायक संख्या रही, वहां के परिणाम का मूल्यांकन करें तो यह बात साफ हो जाती है कि इस बार उत्तर भारतीय मतदाताओं ने जातिगत भावनाओं से ऊपर उठकर भाजपा की प्रचंड जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। भाजपा ने पहले उत्तर भारतीयों को टिकट देने में बेरुखी दिखाई परंतु बाद में उत्तर भारतीय समाज के दबाव को देखते हुए कुछ उत्तर भारतीयों को टिकट दिए गए।

बोरीवली से संजय उपाध्याय को टिकट दिया गया, जिन्होंने मुंबई में सबसे अधिक मतों से विजय प्राप्त की। इसी तरह वसई विधानसभा से स्नेहा दुबे पंडित ने हितेंद्र ठाकुर को हराकर अविस्मरणीय इतिहास रच दिया। उत्तर भारतीय समाज को पूरी उम्मीद थी कि उत्तर भारतीय समाज के किसी न किसी विधायक को मंत्री जरूर बनाया जायेगा। परंतु मंत्रिमंडल से जिस तरह से उत्तर भारतीय विधायकों का सुपड़ा ही साफ कर दिया गया, उससे उत्तर भारतीय समाज खुद को आहत, निराश और ठगा हुआ महसूस कर रहा है। आने वाले महीनों में भाजपा को महानगर पालिका चुनाव में उतरना है।

उत्तर भारतीय मतदाताओं के समर्थन के बिना यह चुनाव जीतना संभव नहीं है। ऐसे में भाजपा के लिए आवश्यक था कि वह कम से कम एक उत्तर भारतीय विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल करती। इसे भाजपा की भूल कहे या उसका ओवर कॉन्फिडेंस कहें कि वह एक भी उत्तर भारतीय को मंत्रिमंडल में शामिल किए बिना आगे भी उनके पूर्ण समर्थन की आशा कर रही है। पूर्वांचल विकास परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. द्रिगेश यादव के अनुसार इस बार विधानसभा चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं ने जिस तरह से भाजपा के पक्ष में एकमुश्त मतदान किया, उससे पूरी उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल में कम से कम एक उत्तर भारतीय को जरूर जगह मिलेगी।

खासकर पूर्वांचल के लोगों में इस बार के मंत्रिमंडल को लेकर उत्साह दिखाई दे रहा था। माना जा रहा था कि पूर्वांचल की स्नेहा दुबे पंडित, विद्या ठाकुर और संजय उपाध्याय में से किसी न किसी को मंत्रिमंडल में सम्मानजनक स्थान जरूर मिलेगा। परंतु जिस तरह से उत्तर भारतीय विधायकों को मंत्रिमंडल से दूर कर दिया गया, उसे देखकर उत्तर भारतीय समाज के साथ-साथ पूर्वांचल के लोग भी दुखी हैं।

पार्टी सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर भारतीयों को निश्चित रूप से तरजीह दी जाएगी। उत्तर भारतीय मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुरेश सिंह के अनुसार भाजपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो उत्तर भारतीयों के हितों और संरक्षण का खुलकर वकालत करती है। हमें पूरी उम्मीद है कि महानगरपालिका चुनाव में उत्तर भारतीयों को अधिक से अधिक अवसर दिया जाएगा। शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता आनंद दुबे का मानना है कि भाजपा सिर्फ उत्तर भारतीयों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है। उत्तर भारतीय अब धीरे धीरे बीजेपी की यूज एंड थ्रो वाली मानसिकता समझ रहे हैं।