– शिवपूजन पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
जौनपुर। भाजपा शासन काल में यदि कोई सबसे अधिक ताकतवर हुआ है तो वह है – ब्यूरोक्रेसी और यदि कोई सबसे कमजोर हुआ है तो वह है– बीजेपी का कार्यकर्ता। प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी अधिकारियों और पुलिस को इतनी खुली छूट दे रखी है कि अब साफ तौर पर उनकी मनमानी और उत्पीड़न दिखाई देने लगा है। परिणाम स्वरूप भ्रष्टाचार का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। किसी भी सरकारी प्रतिष्ठान में जाकर वहां व्याप्त बेलगाम भ्रष्टाचार का अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। एक बात तय है कि ब्यूरोक्रेसी के आशीर्वाद के बिना निचले स्तर पर खुलेआम भ्रष्टाचार संभव नहीं है। और तो और भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी अपना काम कराने के लिए सुविधा शुल्क प्रदान कर रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार योगी ने पुलिस अधिकारियों से साफ कह दिया है कि थानों में किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता या पदाधिकारी की पैरवी पर ध्यान न दिया जाए, कानून अपने हिसाब से काम करे। इसका परिणाम यह हुआ कि पुलिस विभाग पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है। पुलिस उत्पीड़न के चलते लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं। अन्य सरकारी विभाग की तरह यहां भी खुले आम लेने देन हो रहा है। जब कोई मामला उजागर होता है तो पुलिस अधिकारी तत्काल निलंबन तो कर देते हैं, परंतु भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक स्थानांतरण,लाइन हाजिर और निलंबन की कार्रवाई हुई है। अगर किसी के साथ अन्याय भी हो रहा है तो भाजपा के कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन तक जाकर उसकी सफाई भी नहीं दे पा रहे हैं। सपा या बसपा शासन काल में उनके कार्यकर्ताओं को न सिर्फ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था, अपितु ब्यूरोक्रेसी उनका सम्मान भी करती थी। थाने में पहुंचते ही उनके लिए कुर्सी और चाय आ जाती थी। ऐसे में भाजपा के कार्यकर्ता कहीं न कहीं हीन भावना से ग्रसित हो चुके हैं। अनेक कार्यकर्ताओं ने बताया कि जब हमें कुछ पॉवर ही नहीं है तो हम निरर्थक मेहनत क्यों करें? मलाई तो ऊपर वाले खाते हैं और राजनीति की चक्की में पीसने के लिए हमें छोड़ देते हैं। हमें इतना तो पॉवर मिलना ही चाहिए कि कम से कम सरकारी अधिकारी हमसे अदब से बात करें, हमारी बात सुने और सच्चाई का पता लगाएं। एक और बात जो सामने आ रही है उसके मुताबिक सरकारी विभाग में भाजपा का विरोध करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या अधिक है। ऐसे में जानबूझकर अनावश्यक रूप से लोगों को परेशान किया जाता है। उनको मालूम है कि यह लोग ज्यादा से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं या छोटे पदाधिकारियो के पास जाएंगे। लोगों का कहना है कि आज भी विरोधी पार्टी के कार्यकर्ताओं की ज्यादा सुनी जा रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं की अपेक्षा विरोधी पक्ष के कार्यकर्ताओं के माध्यम से डील करना भ्रष्ट अधिकारियों को ज्यादा सुरक्षित लगता है।