राम से बड़ा राम का नाम . “जय -जय श्रीराम”

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*जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अनंत श्री विभूषित सनातनी ध्वज वाहक स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज* के श्रीमुख से सनातन की समृद्ध विरासत “आदि-ग्रंथ वाल्मीकि रामायण” आधारित रामकथा की भावपूर्ण अमृत वर्षा से सूरत की सौभाग्यशाली धर्मप्रेमी जनता भाव-विभोर है,धन्य धन्य है।
*क्या है? इस रामकथा में—*
आध्यात्म की अवधारणा है इस कथा में
धर्मयुक्त धारणा है इस कथा में

हिंदू धर्म आदित्य है इस कथा में
श्रेष्ठतम साहित्य है इस कथा में

प्रेम की परिणति है इस कथा में
शत्रुता की भी सद्गति है इस कथा में

प्रेम है, संयोग है इस कथा में
विरह ओर वियोग है इस कथा में

पावन से पावन त्याग है इस कथा में
मर्यादित अनुराग है इस कथा में

ज्ञान और गुरुत्व है इस कथा में
माॅं सीता का सतीत्व है इस कथा में

अर्पण और तर्पण है इस कथा में
भाई के लिए भाई का समर्पण है इस कथा में

सनातनियों का मान है इस कथा में
अमृत रसपान है इस कथा में

*मोक्ष का द्वार है इस कथा में*
*सम्पूर्ण जीवन का सार है इस कथा में*
*जय-जय सियाराम!🙏*
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