ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका की लीला का मंचन

सूरत। श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के महामंत्री एवम संचालक अनिल अग्रवाल ने बताया की रामलीला महोत्सव के अंतर्गत ताड़का वध, सुबाहु मारीच वध, अहिल्या उद्धार, पुष्प वाटिका लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। इस दौरान हजारों लोग मौजूद रहे। शुक्रवार रात को रामलीला में विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार में पहुंचकर राम लक्ष्मण को मांगते हैं, परंतु वे प्रेमवश मना कर देते हैं, जिससे विश्वामित्र नाराज हो जाते हैं। इसके बाद गुरु वशिष्ठ के समझाने पर विश्वामित्र को राम लक्ष्मण सौंप देते हैं। विश्वामित्र दोनों भाइयों को लेकर वन की ओर जाते हैं और बताते है कि यहां पर ताड़का नाम की राक्षसी अपने पुत्र सुबाहु, मारीच के साथ रहती है और वह सुकेतु यक्ष की पुत्री है। अगस्त ऋषि के श्राप के कारण इस वन में रह कर उत्पात मचाती है। इसलिए वह राम को कहते हैं कि इस राक्षसी का का वध करना आवश्यक है। इसके बाद युद्ध होता है, जिसमें राम के हाथों ताड़का का वध होता है। इसके बाद आगे चलकर विश्वामित्र राम को अहिल्या के बारे में बताते है कि यह पत्थर की शिला शाप के कारण पत्थर बन गई थी। इसके बाद राम अहिल्या का उद्धार करते हैं। इसके बाद जनकपुरी में अशोक वाटिका में माता गोरा के पूजन के दौरान माता सीता की श्री रामचंद्र से प्रथम भेंट होती है।
आज आए हुए अतिथियों ने प्रभु श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त किया एवम ट्रस्ट की तरफ से अध्यक्ष रतन गोयल ,लीला मंत्री अंशु पंडित,स्वागत मंत्री मनोज अग्रवाल ,प्रशासनिक मंत्री प्रह्लाद अग्रवाल ,आतिशबाजी मंत्री सुदर्शन मतानहेरिया और अन्य सदस्यो के द्वारा स्वागत किया गया *5 अक्टूबर शनिवार की लीला* राजा जनक को शिव धनुष मिलने का प्रसंग, धनुष यज्ञ, लक्ष्मण परशुराम संवाद