मुंबई। हास्य व्यंग्य नाटक रासबिहारी टिकट कलेक्टर का यूं तो यह प्रथम प्रदर्शन था मगर अभिनेत्री कामना सिंह चंदेल की तैयारी ज़बरदस्त थी। उन्होंने एक टिकट कलेक्टर के जीवन के कई रोचक और रोमांचक अनुभवों को असरदार तरीक़े से पेश किया। दर्शकों ने उन्हें भरपूर सराहा। रविवार 2 मार्च 2025 को चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई की ओर से मृणालताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में आयोजित इस नाटक को देखने के लिए कथाकार सुधा अरोड़ा, डॉ उषा मिश्रा और पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज जैसे प्रतिष्ठित क़लमकार हाल में मौजूद थे। टिकट कलेक्टर के किरदार के अलावा कामना सिंह ने कुछ और चरित्रों को जिस विविधतापूर्ण अंदाज़ में पेश किया वह लाजवाब था। उनके इस हुनर की सबने दिलखोल कर तारीफ़ की। नाटक के कुछ संवाद बड़े अच्छे और चुटीले हैं। सीधा-साधा टीसी जब भी दबंग यात्रियों से पिटता है वह यही कहता है-” ग़लती मेरी ही थी”… उसका यह संवाद दर्शकों के साथ रह जाता है।
प्रस्तुति के बाद इस नाटक पर खुली चर्चा भी हुई। इस नाटक के लेखक अशोक मिश्र ने दर्शकों के सवालों के जवाब दिए। दर्शकों की राय में बिना स्टेज और किसी साज सज्जा के यह नाटक ऐसा प्रभावशाली है तो प्रेक्षा गृह में इसका कमाल देखने लायक होगा।
नाट्य प्रस्तुति के बाद हाल ही में दिवंगत फ़िल्मकार श्याम बेनेगल को याद किया गया। संचालक देवमणि पांडेय ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को रेखांकित किया। कथाकार सुधा अरोड़ा ने कहा कि समांतर सिनेमा की शुरुआत श्याम बेनेगल की ही फ़िल्मों से हुई। अंकुर, निशांत, मंथन, भूमिका आदि फ़िल्मों के हवाले से उन्हें एक अप्रतिम फ़िल्मकार के रूप में याद करते हुए सुधा जी ने कहा कि श्याम बेनेगल ने सिनेमा में ऐसे चरित्र बनाए जो हमारे जहन में हमेशा के लिए महफ़ूज़ रह जाते हैं। श्याम बेनेगल की वेलकम टू सज्जनपुर, समर, वेलडन अब्बा आदि फ़िल्मों के लेखक अशोक मिश्र ने उनसे जुड़े कई बेहतरीन संस्मरण सुनाए। उन्होंने बताया कि दलित अत्याचार पर आधारित फ़िल्म ‘समर’ को बेस्ट फ़िल्म का नेशनल अवार्ड मिला तथा उन्हें बेस्ट स्क्रीनप्ले का नेशनल अवार्ड मिला। मगर आज तक यह फ़िल्म सिनेमा हॉल में प्रदर्शित नहीं हो पाई। अशोक जी के अनुसार श्याम बेनेगल सीधे-सादे मेहनती इंसान थे। उनके काम में सच्चाई थी। उन्हें राजनीति की गहरी समझ थी। वह एक दृष्ट संपन्न व्यक्ति थे। सबसे खुलकर मिलते थे और सबको सम्मान देते थे। वह ऐसे सिद्ध पुरुष थे जिसे कभी ग़ुस्सा नहीं आता था। उनमें कमाल का सेंस आफ ह्यूमर था। यह ह्यूमर उनकी फ़िल्मों में भी नज़र आता है। कवि राजीव रोहित ने श्याम बेनेगल के व्यक्तित्व पर एक बढ़िया कविता सुनाई। कविता पाठ के सत्र में रोशनी किरण, सुमीता केशवा, और दमयंती शर्मा ने सुमधुर गीत सुनाकर माहौल को सरस बना दिया। इस अवसर पर शोभा स्वप्निल, मधुबाला शुक्ल, क्रांति सिंह, प्रज्ञा मिश्र, सविता दत्त, पीयूष पराग, शायर क़मर हाजीपुरी और पत्रकार इरफान सामी मौजूद थे।
हास्य व्यंग्य नाटक रासबिहारी टिकट कलेक्टर का मंचन
